महीप सिहँ

उन्नीस सौ तिराशी और उननीस सौ चौरासी की श्रेष्ठ हिन्दी कहानियाँ - नई दिल्ली हिन्दी बुक सेन्टर 1986 - 287 पृ. p.

891.4330108 SM64S